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I Search for My Existence

खोजता हूँ अपने अस्तित्व को,

खोज कर भी ना खोज पाता हूँ।

पानी का बुलबुला सा हूँ,

बार बार बनकर मिट जाता हूँ।

कभी तिनके सा बना,

अनजान राहों पर उड़ा जाता हूँ।

कभी किसी के कदमों में,

कभी ताज या सिंघासन पर लहराता हूँ।

कर्मों के बंधन में,

बंधकर भी मुस्कुराता हूँ।

जानता हूँ तू साथ है मेरे,

इसलिए मैं इतराता हूँ।

कांटो भरी राहों पर भी,

तेरा नाम लेकर चलता जाता हूँ।

तुझको ही सौपा ये जीवन,

तेरा #दीवाना कहलाता हूँ।

जानता नहीं मैं तैरना फिर भी,

तेरा नाम लेकर दरिया में कूद जाता हूँ।

तेरी मोहनी मूरत देखकर,

अपना आपा भूल जाता हूँ।

सद्गुरु गीतानन्द चरण कमल में,

अरदास लगाता हूँ।

ओ कृष्णा के #कृष्णा आ जाओ

ये फरियाद सुनाता हूँ।

हरि ॐ

श्री गुरु गीतानन्दाय नमो नमः।।

 

 

I search for my existence,

I can’t find even after searching.

I am like a water bubble,

I get erased by becoming repeatedly.

Ever become like straws,

I fly on unknown paths.

Sometimes in someone’s feet,

Sometimes waving at the crown or throne.

In the bond of karma,

I smile even after being tied up.

I know you are with me,

That’s why I boast.

Even on the path of thorns,

I take your name and go.

This life is handed over to you,

I am called your #the lover.

I don’t know swimming yet,

I jump into the river with your name.

Seeing your beautiful face,

I forget myself.

Sadguru Geetanand in the feet of lotus,

I pray.

O Krishna’s #K Krishna come

I tell you this plea.

Hari Om

Namo Namah to Shri Guru Gita. ।